
जबलपुर। कोरोना संक्रमण की जांच कराने जाने वाले संदिग्ध जबलपुर में डॉक्टरों के भेदभाव के शिकार हो रहे हैं। मामला जबलपुर शहर के स्नेह नगर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां, कोरोना जांच के लिए लग्जरी कार से आने वालों का तुरंत रैपिड टेस्ट किया जा रहा है। स्टाफ एक घंटे में रिपोर्ट बताने का वादा कर रहा है। बाकी लोगों को रैपिड किट की लिमिट का हवाला देते हुए जांच में टालमटोल की जा रही है। जोर देने पर उन्हें एक दिन बाद जांच के लिए आने का कहकर घर लौटा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार स्नेह नगर पीएचसी में शुक्रवार को कुछ लोग कोरोना संदिग्ध लक्षण पर जांच के लिए पहुंचे। रैपिड टेस्ट के लिए पूछने पर एक दिन में इस टेस्ट के लिए तीन किट के उपयोग की लिमिट होने की जानकारी देते हुए जांच से मना कर दिया। इसी बीच लग्जरी कार से आए तीन व्यक्तियों ने लेडी डॉक्टर को अपनी पहचान बताई और परिवार में एक सदस्य के पॉजिटिव होने की जानकारी दी। चिकित्सक ने जानकारी अगले दिन के रेकॉर्ड में दर्ज करने का कहते हुए रैपिड टेस्ट की सलाह दी। साथ ही परामर्श दिया कि रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो फिर आरटीपीसीआर टेस्ट भी कर लेंगे।
कोरोना संदिग्ध लक्षण वाले मरीजों की जांच के लिए पीएचसी में अलग बूथ बनाया गया है। नियमानुसार संदिग्ध का बूथ के अंदर नमूना लेना है। लेकिन, फीवर क्लीनिक में डॉक्टर संदिग्ध को बाहर खड़ा करके नमूना एकत्रित कर रहे है। बगल में ही टीकाकरण के लिए आने वाले बच्चों व माताओं को रोका जा रहा है। नॉन कोविड मरीजों को संदिग्ध से दूर रहने के लिए आवश्यक नसीहत भी स्टाफ नहीं दे रहा है। सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया का कहना है कि स्नेहनगर फीवर क्लीनिक में स्टाफ को सावधानी बरतने के निर्देश है। रैपिड किट के उपयोग की कोई लिमिट नहीं है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमित की जल्दी पहचान के लिए ज्यादा संख्या में उपयोग में लाया जा रहा है।
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