
मेडिकल कोर्सेस में MBBS करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) करने वाले सभी स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ अब जिला अस्पताल में तीन महीने तक सेवा देना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही उन्हें फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने के लिए एलिजिबल माना जाएगा। इस बारे में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ गर्वनेंस ने यह फैसला लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है।
एकेडमिक ईयर 2020-21 से लागू नए नियम
नए आदेशों के मुताबिक, एकेडमिक ईयर 2020-21 से ही इन नियमों को लागू कर दिया गया है। इसके मुताबिक एमडी या एमएस करने वाले सभी पीजी स्टूडेंट्स तीन महीने के लिए जिला अस्पताल या किसी जिला स्वास्थ्य केंद्र में सेवाएं देंगे। यह रोटेशन तीसरे, चौथे और पांचवें सेमेस्टर में शामिल किया गया है, जिसे जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (DRP) नाम दिया गया है।
दरअसल, जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के मकसद से यह बदलाव किया गया है। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य होगा।
सीनियर डॉक्टर देंगे ट्रेनिंग
नए नियम के तहत जिला अस्पताल में तैनात होने के बाद मेडिकल स्टूडेंट को ट्रेनिंग के लिए सीनियर डॉक्टर की निगरानी में रखा जाएगा। स्टूडेंट को ओपीडी, आपातकालीन, आईपीडी के अलावा रात में भी ड्यूटी देनी होगी। संबंधित जिला अस्पताल को भी पहले से इस रोटेशन के बारे में मेडिकल छात्रों की सूची उपलब्ध हो जाएगी, ताकि उन्हें यह पता रहे कि कौन- कौन छात्र नए रोटेशन के तहत उनके यहां सेवाएं देने वाले हैं।
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