"एमपी में एफआईआर आपके द्वार" की राह में कई रोड़े, दूर हो तो बने बात

जबलपुर. प्रदेश के 12 जिलों में शामिल जिले के पनागर और सिविल लाइंस थाने में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 11 मई को एफआईआर आपके द्वार योजना का शुभारम्भ हुआ था। 31 अगस्त तक इस पायलट प्रोजेक्ट के अनुभवों के आधार पर इसके आगे की राह तय होनी है। जिले के एक शहरी और एक ग्रामीण क्षेत्र में संचालित इस योजना का पिछले चार महीने का आंकलन करें तो जहां शहरी क्षेत्र में इसका उपयोग कम हुआ है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में इस पर सबसे अधिक इवेंट प्राप्त हुए, लेकिन वहां एफआईआर दर्ज करने में दिक्कत आयी। अब अधिकारियों ने इसे लेकर विस्तृत फीडबैक पीएचक्यू को भेजा है।
फैक्ट-
पनागर में कुल एफआईआर-855
एफआईआर आपके द्वार में कुल इवेंट मिले-728
एफआईआर दर्ज हुए-66
एनसीआर-26
मर्ग-05
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सिविल लाइंस में कुल एफआईआर-157
एफआईआर आपके द्वार में कुल इवेंट मिले-149
एफआईआर-09
एनसीआर-21
मर्ग-02
जानकारी के अनुसार इस महत्वपूर्ण योजना का शुभारम्भ जबलपुर सहित 12 जिलों में गृहमंत्री के निर्देश पर 11 मई को एक साथ हुआ था। डायल-100 (एफआरवी) के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। 31 अगस्त तक इस प्रोजेक्ट के आंकड़ों और अनुभवों को इससे जुड़े अधिकारी-कर्मचारी और थाना प्रभारी ने पुलिस अधीक्षक को दिया। जिसे एसपी ने 10 सितम्बर को समीक्षा कर सुझावों के साथ पुलिस मुख्यालय को भेजा है।
संज्ञेय अपराध दर्ज करने के मिले थे निर्देश-
एफआरवी वाहन में तैनात बल संज्ञेय अपराधों (गम्भीर और संवेदनशील अपराधों को छोडकऱ) की सूचना पर मौके पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश था। घटना गम्भीर और संवेदनशील होने पर एफआरवी बल को थाना प्रभारी को सूचना देकर वहां एफआईआर दर्ज कराने का प्रावधान शामिल किया गया था। पर व्यवहार में इसका पालन नहीं हो पाया।
इस व्यवस्था में ये खामी आई सामने-
- एफआरवी में तैनात बल के अलावा तीन शिफ्ट में एक-एक प्रधान आरक्षक या इससे वरिष्ठ की तैनाती की गई है।
- प्रधान आरक्षक को इंटरनेट युक्त कम्प्यूटर, लैपटॉप के साथ पोर्टेबल प्रिंटर और यूपीएस मिले हैं, लेकिन मेंटीनेंस की एक बड़ी समस्या सामने आई।
्र- एफआईआर में अधिक समय लगने पर अधिकारी-कर्मचारी को छोडकऱ एफआरवी को लौटना होता है। इससे स्टॉफ को दूसरा इवेंट कवर करने में परेशानी आई।
- सीएसपी स्तर पर प्रतिदिन और एएसपी व एसपी स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा का प्रावधान जोड़ा गया था, जो नहीं हुआ।
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मुख्यालय को भेजा गया फीडबैक-
11 मई से 31 अगस्त के दौरान मिले अनुभवों, कमियों, व्यावहारिक समस्याओं, सफलताओं के फीडबैक का प्रतिवेदन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय को 10 सितम्बर को भेजा गया।
इन व्यवहारिक कठिनाईयों को उठाया-
-जिले में प्रधान आरक्षकों की संख्या कम है।
-हर महीने प्रधान आरक्षक रिटायर हो रहे हैं।
-विभागीय प्रमोशन न होने से भी प्रधान आरक्षक के पद रिक्त हैं।
-एफआरवी की बजाय इसके लिए स्वतंत्र वाहन की व्यवस्था हो।
-ग्रामीण क्षेत्र में नेट की कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है।
-पोर्टेबल प्रिंटर में मेंटीनेंस की एक बड़ी समस्या सामने आई।
-प्रिंट आउट की समस्या आती है।
-नेट कनेक्टिविटी के लिए लोकल डाटा कम्पनी के चयन का विकल्प दिया जाए।
-ई-एफआईआर का भी विकल्प दिया जाए, जिससे मोबाइल पर एफआईआर की कापी ट्रांसफर किया जा सके।
वर्जन-
एफआईआर आपके द्वार का पॉयलेट प्रोजेक्ट काफी अच्छा है। कुछ व्यवहारिक परेशानियां आई हैं, उसे दूर करने का सुझाव पुलिस मुख्यालय भेजा गया है।
सिद्धार्थ बहुगुणा, एसपी



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