
जबलपुर। वायुसेना के शक्तिशाली 250 किग्रा एरियल बम बॉडी का नियमित उत्पादन गे्र आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) जबलपुर में जल्द शुरू होगा। 70 से अधिक बम बॉडी की ढलाई पहले हो चुकी है। नियमित उत्पादन होने पर कर्मचारियों को भरपूर काम मिलेगा। इसका आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके) को भी होगा। उसे बारूद फिलिंग के लिए बम बॉडी आसानी से मिल सकेंगी।
250 किग्रा एरियल बम बॉडी के नियमित उत्पादन की तैयारी
वायुसेना की ताकत में इजाफा करेगी जीआइएफ, नहीं रहेगी काम की कमी
जीआइएफ अभी तक 110 और 120 किग्रा एरियल बम की बॉडी तैयार करती है। आधुनिक फर्निश मशीनों में बॉडी की ढलाई होती है। फिर इन्हें ओएफके और दूसरी निर्माणियों को सप्लाई किया जाता है। वहां इनमें बारूद की फिलिंग की जाती है। फाउंड्री में 250 किग्रा बम बॉडी बनाने का प्रोजेक्ट करीब दो साल पहले आया था। तब से यह ट्रायल आधार पर चल रहा है। सफल होने पर नियमित उत्पादन होगा।

पलभर में उड़ता है बंकर और पुल- इस बम का इस्तेमाल वायुसेना आधुनिक तेजस एव सुखोई जैसे लड़ाकूं विमानों से किया जाता है। इस विध्वंसक बम में भारी मात्रा में शक्तिशाली बारूद भरा होता है। रक्षा क्षेत्र के जानकारों ने बताया कि 10 से 30 किमी की ऊंचाई से इन्हें जमीन पर गिराया जाता है। ऐसे में दुश्मन के बंकर, युद्ध मैदान, बिल्डिंग और इमारत पलभर में नष्ट हो जाते हैं।
दूसरी जगह होगी टेस्टिंग
भारी-भरकम बम बॉडी की ढलाई के बाद इसकी टेस्टिंग कोलकाता के पास स्थित मैटल एंड स्टील निर्माणी में होती है। इसी तरह मशीनिंग का काम दिल्ली के पास स्थित आयुध निर्माणी मुरादनगर में होता है। इस काम के लिए वहां मूल की जगह छोटे आकार की बॉडी को भेजा जाता है। यानि प्रोटोटाइप की टेस्टिंग सम्बंधित जगह पर हो रही है। लेकिन, अब निर्माणी में यह सुविधाएं विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि, बॉडी यहीं तैयार हो और उसकी मशीनिंग यानि फिनिशिंग और टेस्टिंग भी यहीं हो सके।
250 किग्रा एरियल बम की बॉडी का नियमित उत्पादन शुरू करने का प्रयास चल रहा है। अभी यह प्रोजेक्ट ट्रायल पर है। पूर्व में कुछ सफलताएं मिली हैं। बम बॉडी से जुड़ी सारी प्रक्रियाएं फाउंड्री में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं।
- अजय सिंह, महाप्रबंधक, जीआइएफ
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