MP high court: सरकार पांच साल में भी नहीं पेश कर सकी जवाब, हाईकोर्ट ने लगा दिया जुर्माना

जबलपुर। मप्र हाइकोर्ट ने एक मामले में पांच साल का अरसा बीतने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत न किए जाने पर नाराजगी जताई। जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने न केवल सरकार का जवाब का अधिकार खारिज कर दिया, बल्कि इस सुस्ती के लिए सरकार पर 25 हजार रुपए कॉस्ट भी लगाई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पंचायत कोऑर्डिनेटर ऑफिसर को सभी सम्बंधित लाभों के साथ नौकरी पर बहाल करने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट में पांच साल में भी नहीं पेश किया जवाब
सरकार की सुस्ती पर हाइकोर्ट ने लगाई 25 हजार रुपए कॉस्ट

टीकमगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत तातापुरा में पंचायत कोऑर्डिनेटर ऑफिसर रहे परमलाल वर्मा की ओर से 2015 में यह याचिका दायर की गई। अधिवक्ता डीके दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को अगस्त 2009 में ताता पुरा ग्राम पंचायत कोऑर्डिनेटर का प्रभार दिया गया था। 13 अप्रैल 2010 को याचिकाकर्ता ने प्रभार हाकिम सिंह को सौंप दिया।

13 अक्टूबर 2011 को निवाड़ी सीईओ ने तातापुरा ग्राम पंचायत में 2006 से 2009 के बीच हुए अधूरे निर्माण कार्य के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद याचिकाकर्ता को ना तो कोई नोटिस दिया गया, ना जांच के बारे में बताया गया। 30 अगस्त 2012 को बिना सुनवाई का मौका दिए उसे निलंबित कर दिया गया। 27 नवंबर 2015 को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर नोटिस जारी किए। 4 साल तक कोई जवाब ना प्रस्तुत किए जाने पर 9 अगस्त 2019 को राज्य सरकार को इसके लिए अंतिम अवसर दिया गया। सोमवार को सरकार के इस रवैए को कोर्ट ने सुस्ती भरा करार देते हुए कहा कि ऐसी दशा में याचिकाकर्ता के दावे को सत्य माना जाना चाहिए। इस मत के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निलंबित किए जाने वह इसके खिलाफ अपील में दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बहाल करने के निर्देश देकर याचिका का निराकरण कर दिया।



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