MP high court decision : ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स के लिए बुरी खबर, नए रिक्शों को नहीं मिलेगा परमिट

जबलपुर/ मप्र हाइकोर्ट से जबलपुर के ऑटो रिक्शा संचालकों को बुधवार को भी कोई राहत नहीं मिली। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस अंजुलि पालो की डिवीजन बेंच ने ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स एसोशिएशन का आग्रह ठुकराते हुए पूर्व में लगाई गई नए परमिट जारी करने पर रोक बरकरार रखी। अगली सुनवाई 8 सितम्बर को होगी। यह है मामला अधिवक्ता सतीश वर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि शहर में चल रहे ऑटो रिक्शा कांट्रैक्ट कैरिज परमिट की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। इन अवैध ऑटो रिक्शों व इनकी धमाचौकड़ी पर नियंत्रण करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आग्रह किया गया कि इस मनमानी पर लगाम लगाई जाए। ओवरलोडिंग रोकी जाए। मनमानी किराया वसूली रोकने के लिए किराया सूची सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा की जाए। जगह-जगह रोक कर सवारियां चढ़ाने-उतारने की बजाय रूट व स्टॉप फिक्स किए जाएं।

High Court of Madhya Pradesh

एसोसिएशन को नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 8 सितम्बर को

शहर भर में दौड़ रहे मॉडीफाइड ऑटो रिक्शा- कोर्ट ने पूर्व सुनवाइयो के दौरान राज्य सरकार की कार्रवाई को नाकाफी बताया था। कहा था कि पूरे शहर में मॉडीफाइड ऑटो रिक्शे दौड़ रहे हैं। इनमें ड्राइवर सीट को बढ़ा लिया गया है। सीट के सामने पटिया लगा कर अतिरिक्त सवारियां ठूंसं-ठूंस कर ढोई जा रही हैं। इनके चलते अराजक स्थित उत्पन्न हो रही है। कोर्ट ने कहा था कि बिना समुचित जांच के रूट परमिट दिए जा रहे हैं। ऑटो रिक्शा वाले मनमानी तरीके से कहीं भी रोक रहे हैं। सवारियों की ओवरलोडिंग हो रही है। भाड़ा तालिका समुचित व निर्देर्शित जगहों पर नहीं लगाए गए हैं। 11 फरवरी 2019 को कोर्ट ने कहा था कि निर्धारित रूट के मुताबिक ही ऑटो रिक्शों का संचालन किया जाए। कलर कोडिंग व रूट नियमों का सख्ती से पालन हो। ऐसा न करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

 

rickshaw

हस्तक्षेप याचिका पर मांगा जवाब

बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने ऑटो ड्राइवर्स असोसिएशन की ओर से पक्ष रखते हुए नए परमिट जारी करने पर लगाई रोक हटाने का आग्रह किया। कोर्ट ने इस आग्रह को दरकिनार कर दिया। वही ऑटो चालक मोहम्मद जाकिर व अन्य की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर कर अधिवक्ता अमित मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने ऑटो फाइनेन्स कराया। लेकिन परमिट नहीं जारी होने से वे इसकी किश्त तक नही चुका पा रहे हैं। लिहाजा उन्हें परमिट जारी किया जाए। कोर्ट ने इस हस्तक्षेप याचिका पर सरकार व याचिकाकर्ता से जवाब मांगा।



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