
दीपंकर रॉय@जबलपुर। शहर में कोरोना संक्रमण के फैलाव के साथ ही कोविड-19 से होने वाली मौत की दर बढ़ी है। गम्भीर मरीजों को बेहतर उपचार देकर मृत्यु दर कम करने के प्रयास के दावे किए जा रहे हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में शहर, सम्भाग सहित आसपास के दूसरे सम्भाग के गम्भीर कोरोना मरीजों को उपचार के लिए भर्ती किया जा रहा है। लेकिन अंचल के सबसे बड़े इस अस्पताल में गम्भीर कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिए नई दवा और इंजेक्शन नहीं हैं। कोरोना मरीजों के लिए कारगर मानी जा रही आधुनिक दवा की आपूर्ति अभी तक सरकार ने नहीं की है। रेमडेसिविर जैसी कोरोना से बचाव के लिए प्रभावी दवा बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जो गम्भीर मरीज अपने स्तर पर नई दवा खरीदकर नहीं ला पा रहे उनको दिक्कत हो रही है।
कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बाद भी आपूर्ति नहीं की गई
मेडिकल में दवा का संकट, परिजन बाहर से खरीदकर ला रहे इंजेक्शन


बाहर से लाने की छूट दी
कोरोना के मरीज बढऩे के साथ मेडिकल कॉलेज में संक्रमितों को भर्ती करने के लिए लगातार बिस्तर बढ़ाने की कवायद हो रही है। इस उठापटक के बीच कारगर दवाओं की आपूर्ति पर सरकार का फोकस नहीं है। भोपाल से आने वाले अधिकारी गम्भीर कोरोना मरीजों की मौत रोकने के लिए हर सम्भव सुविधा देने का वादा करके चले जाते हैं। लेकिन भोपाल पहुंचने के बाद जरूरी दवा की आपूर्ति की कार्रवाई वहीं थम जाती है। भोपाल से जरूरतमंद मरीजों के लिए उनके खर्चे पर बाजार से कारगार इंजेक्शन खरीदने की छूट दे दी गई।
निजी अस्पताल वसूल रहे मनमाना दाम
सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर जैसी नई दवाओं की खेप नहीं पहुंचने का फायदा कोरोना मरीजों का उपचार करने वाले निजी अस्पताल उठा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ निजी अस्पताल के पास रेमडेसिविर सहित नई दवाओं का स्टॉक है। गम्भीर कोरोना मरीजों के उपचार में इन दवाओं का प्रयोग करके मरीजों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं।
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