
जबलपुर। दुश्मन की सेना पर प्रभावी हमले में कारगर 30 एमएम बीएमपी-2 लाइट एमुनेशन का उत्पादन अब आधुनिक मशीनों पर होगा। आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके), जबलपुर में इस काम के लिए फिलिंग सेक्शन 12 में स्वीडन से मंगाई अत्याधुनिक मशीनों को स्थापित किया जा रहा है। ऐेसे में अब यहां पर मैनुअल मशीनों की जगह कम्प्युटराइज्ड मशीन से कंपलीट राउंड बनेगा। ऐसे में बम का रिजेक्शन कम होगा। अगले सप्ताह यहां काम पूरा हो जाएगा। दो से चार किमी की दूरी पर ऑटोमैटिक गन से इस बम को दुश्मन की सेना पर छोड़ा जाता है। इस बम का काम बड़े पैमाने पर ओएफके में होता है। लेकिन मैनुअल काम होने के कारण रिजेक्शन की आशंका हमेशा बनी रहती है। इससे फैक्ट्री को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। साथ में इसका इस्तेमाल करने वाले सैनिकों को नुकसान की आशंका बनी रहती है। अब स्वीडन की सहायता से फिलिंग सेक्शन की बिल्डिंग में आधुनिक मल्टी स्केलिंग मशीनें लगाई जा रही हैं।
असेंबलिंग होगी आसान
इस बम के लिए केस अम्बरनाथ फैक्ट्री, सेल निजी क्षेत्र एवं दूसरी आयुध निर्माणियों से आता है। ओएफके में इसका प्राइमर और फ्यूज आदि तैयार किया जाता है। इस सेक्शन में कंपलीट राउंड यानी बम तैयार किया जाता है। सारे कलपुर्जे यहां लाकर मशीन में बम को कंपलीट करने के लिए प्रोग्रामिंग की जाएगी। अंतिम प्रक्रिया में तैयार राउंड इस मशीन से निकलेगा। अभी भी कुछ काम मशीनों पर होता है लेकिन वे मैनुअल होती हैं। प्रैसिंग भी ऐसी ही मशीनों से की जाती है।
सभी सेक्शन होंगे मॉर्डन
ओएफके प्रबंधन अब अपने सभी फिलिंग सेक्शन में आधुनिक मशीनों को स्थापित करेगा। यहां से पुरानी मशीनों की विदाई की जाएगी। यह बदलते समय की जरूरत भी है। मौजूदा समय मेंं फिलिंग-12 और फिलिंग सेक्शन-2 की बिल्डिंग में मॉर्डन मशीनें लगाई जा रही हैं। उसके बाद करीब 17 प्लांट में भी इसी प्रकार की आधुनिक मशीने लगाकर बम बनाए जाएंगे। कई दशकों पुराने एसी प्लांट को भी बदला जा रहा है ताकि काम और बेहतर हो सके। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय में एसी संबंधी जो तकनीक अपनाई जा रही है, वह अब पुरानी हो चुकी है। ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से नया एसी प्लांट लगाया जा रहा है। इसकी शुरुआत भी फिलिंग 2 से की जा रही है। ओएफके के जनसम्पर्क अधिकारी अमित ङ्क्षसह ने बताया कि मॉर्डनाइजेशन की प्रक्रिया पर तेजी के साथ काम किया जा रहा है। सभी प्रकार के एमुनेशन के प्रोडक्शन में नई तकनीक इस्तेमाल करने प्रयासरत हैं। पहले भी कुछ सेक्शन में मशीनें लगाई हैं। भविष्य में भी इस योजना पर काम किया जाएगा।
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