
जबलपुर। दूसरे राज्यों से जबलपुर लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिलना मुश्किल हो रहा है। अभी की स्थिति में 18 सौ श्रमिक को रोजगार मिल सका है। नियोक्ताओं की संख्या एक हजार के करीब है। अब हालात यह हैं कि हताश होकर कुछ प्रवासी श्रमिक वापिस उसी जगह जाने की तैयारियों में जुट गए हैं, जहां से वे आए थे। इस बीच प्रशासनिक स्तर पर भी कोई बड़ी पहल इस काम के लिए नहीं हो रही है। सिर्फ नियोक्ताओं के पंजीयन हुए हैं। सबसे बुरी स्थिति सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों में है। इन्हें श्रमिकों की आवश्यकता तो है लेकिन ज्यादातर पंजीकृत नियोक्ताओं ने श्रमिकों को अभी तक एंट्री नहीं दी है। उनकी प्राथमिकता में अभी वे मजदूर हैं जो पहले से यहां पर काम करते थे। ज्यादातर वापिस आ गए हैं लेकिन कुछ अभी भी नहीं लौटे। ऐसे में वे नए मजदूरों को रखने में हिचकिचा रहे हैं। इस काम के लिए जिन विभागों को जिम्मा दिया था, वह भी इसमें गंभीरता नहीं दिखा रहे। इन विभागों में उद्योग, श्रम और रोजगार कार्यालय शामिल था। इसी तरह रोजगार सेतु पोर्टल में पंजीकृत नियोक्ता भी इस मामले में गम्भीर नहीं हैं।
रोजगार मेला की नहीं आई तिथि
प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रभावी तरीका रोजगार मेला था। इसके लिए जून एवं जुलाई में तैयारियां भी की गईं थी। लेकिन नियोक्ता और संंबंधित विभागों के बीच समन्वय नहीं होने के कारण इनका आयोजन भी नहीं हो सका। जबकि इसके लिए प्रक्रिया अपनाई गई थी। बकायदा बजट भी जारी किया गया था। इसमें प्रावधान था कि 300 से 500 लोगों के लिए पांच लाख और 500 से अधिक श्रमिकों के मेले के लिए 7 लाख रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था। रोजगार संचालनालय, उद्योग एवं श्रम विभाग के माध्यम से यह राशि खर्च होनी थी।
यह है स्थिति
- जिले में सात हजार से ज्यादा प्रवासी श्रमिक आए।
- एक हजार से अधिक नियोक्ताओं ने कराया पंजीयन।
- अब तक करीब 18 सौ लोगों दिया जा सका है रोजगार।
- तकरीबन 450 श्रमिकों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है।
- सबसे ज्यादा 12 सौ रोजगार केवल मनरेगा में।
यहां मिला रोजगार
नियोक्ता--रोजगार
एमएसएमई--01
ठेकेदार-बिल्डर्स--340
प्लेसमेंट एजेंसी-- 00
व्यावसायिक प्रतिष्ठान--07
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