
जबलपुर/ बसों का संचालन शुरू करने के लिए शासन ने हरी झंडी दे दी है। सभी जिलों में पूरी क्षमता से बसें चलाने की शर्त भी मान ली गई है। लेकिन, बस ऑपरेटर्स किराए में 60 प्रतिशत वृद्धि की मांग पर अड़े हैं। वे अपने मुनाफे में थोड़ा सा भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि किराया वृद्धि की शर्त मान ली गई, तो आम लोगों को बसों से सफर करना मुश्किल हो जाएगा। श्रमिक और मजदूर तो बस में बैठने के बारे में सोचने से भी घबराएगा।
प्रदेश और प्रदेश के बाहर कई ऐसे शहर हैं, जहां ट्रेन के मुकाबले लोग बसों से सफर करना पसंद करते है। सभी रूटों पर प्रायवेट बस ऑपरेटस बसों का संचालन कर रहे हैं। जबलपुर में सबसे ज्यादा मंडला, रायपुर, सागर, दमोह, अमरकंटक और शहपुरा डिंडौरी से बसों के जरिए ही मजदूरों का आना-जाना होता है। आइएसबीटी बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ कलेक्टर भरत यादव ने चर्चा की। बसों के संचालन के संबंध में जब ऑपरेटर्स से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि शासन बातें मान लेता है, तो बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। आईएसबीटी बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के सचिव वीरेन्द्र साहू ने कहा कि शासन द्वारा मांगों को मान लिया जाता है, तो पहले चरण में केवल 25 प्रतिशत बसों का संचालन किया जाएगा। शेष 75 प्रतिशत बसों को ट्रैफिक बढऩे के बाद शुरू किया जाएगा। कोषाध्यक्ष नसीम बेग ने कहा कि आखिरी बार जब किराया बढ़ा था, तब डीजल का रेट 58 रुपए था।
कलेक्टर की ओर से बस ऑपरेटर्स की बैठक बुलाई गई थी। इसमें ऑपरेटर्स को चरणबद्ध तरीके से बसों का संचालन शुरू करने की बात कही गई। किराया बढ़ाया जाना है या नहीं या कितना बढ़ाया जाना है, इसका निर्णय शासन स्तर पर होगा।
- संतोष पॉल, आरटीओ
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