
जबलपुर. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने जबलपुर सहित देश के सात शहरों को नई जिम्मेदारी सौंपी है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही ये सभी शहर देश ही नहीं दुनिया भर में अपनी नई पहचान स्थापित करने में कामयाब हो जाएंगे। इससे इनका कार्य भार जरूर बढ़ेगा पर अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में कामयाब हो सकेंगे।

संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने बीते दिनों एक वीडियो संदेश ट्वीट कर बताया है कि कलाकृतियों के पंजीकरण के साथ-साथ पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण और पंजीकरण की प्रक्रिया को सुविधाजनक और मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए सर्किल की घोषणा की जा रही है।
संस्कृति मंत्री ने बताया कि नए सर्कल मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और गुजरात में बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि त्रिची, रायगंज, राजकोट, जबलपुर, झांसी और मेरठ को नए सर्किल के रूप में घोषित किया गया है। ऐसे में अब ये शहर यानी इन नए एएसई सेंटर की बदौलत यहां की सांस्कृतिक धरोहरों को अक्षुण्ण रखने में ज्यादा सहूलियत होगी।

जबलपुर में एएसआई कार्यालय खुलने से इसके अधीन चार सब सर्किल कार्यालय होंगे। उनमें जबलपुर सहित खजुराहो, रीवा और सागर के सब सर्किल भी शामिल किए जाएंगे। अब तक मध्य प्रदेश के भोपाल मंडल में 290 केंद्रीय संरक्षित स्मारक थे जिनमें से 104 केंद्रीय संरक्षित स्मारक जबलपुर परिक्षेत्र के अंतर्गत जाएंगे। इनके संरक्षण का कार्य व रूपरेखा जबलपुर कार्यालय में ही तैयार होगी। इससे पहले भोपाल सर्किल में 11 सब सर्किल हुआ करते थे, अब जबलपुर में 4 सब सर्किल आ जाने से इन चारों सब सर्किलों की निर्भरता भोपाल कार्यालय से समाप्त हो जाएगी।
सब सर्किल एक तरह का जोन होता है जिसके अंतर्गत 20 से 30 केंद्रीय स्मारक एक सब सर्किल के अंतर्गत आते हैं। जबलपुर सब सर्कल में ही 31 केंद्रीय समारक शामिल हैं जिनका फैलाव 7 जिलों में हैं। जबलपुर सब सर्किल में जबलपुर स्थित केंद्रीय संरक्षित स्मारक 5 हैं इनमें मदन महल का किला, भेड़ाघाट के चौसठ योगिनी मंदिर व गौरी शंकर मंदिर, मझौली स्थित विष्णु वराह मंदिर शामिल हैं।
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