
जबलपुर। कोरोना संक्रमण के फैलाव के साथ ही जबलपुर शहर में कोविड-19 से होने वाली मौत की दर बढ़ी है। गम्भीर मरीजों को बेहतर उपचार देकर मृत्यु दर कम करने के प्रयास के दावे किए जा रहे हैं। यहां के मेडिकल कॉलेज में शहर, सम्भाग सहित आसपास के दूसरे सम्भाग के गम्भीर कोरोना मरीजों को उपचार के लिए भर्ती किया जा रहा है। लेकिन, अंचल के सबसे बड़े इस अस्पताल में गम्भीर कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिए नई दवा और इंजेक्शन नहीं हैं। कोरोना मरीजों के लिए कारगर मानी जा रही आधुनिक दवा की आपूर्ति अभी तक सरकार ने नहीं की है। रेमडेसिविर जैसी कोरोना से बचाव के लिए प्रभावी दवा बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जो गम्भीर मरीज अपने स्तर पर नई दवा खरीदकर नहीं ला पा रहे उनको दिक्कत हो रही है।
बाहर से लाने की छूट दी
कोरोना के मरीज बढऩे के साथ मेडिकल कॉलेज में संक्रमितों को भर्ती करने के लिए लगातार बिस्तर बढ़ाने की कवायद हो रही है। इस उठापटक के बीच कारगर दवाओं की आपूर्ति पर सरकार का फोकस नहीं है। भोपाल से आने वाले अधिकारी गम्भीर कोरोना मरीजों की मौत रोकने के लिए हर सम्भव सुविधा देने का वादा करके चले जाते हैं। लेकिन भोपाल पहुंचने के बाद जरूरी दवा की आपूर्ति की कार्रवाई वहीं थम जाती है। भोपाल से जरूरतमंद मरीजों के लिए उनके खर्चे पर बाजार से कारगार इंजेक्शन खरीदने की छूट दे दी गई। मेडिकल कॉलेज में गम्भीर कोरोना संक्रमितों का उपचार हो रहा है। गम्भीर मरीजों को कोरोना से उबारने में रेमडेसिविर इंजेक्शन, टोशिलिजुमैब, फेपिराविर जैसी दवाओं के अच्छे रिजल्ट हैं। बाहर से दवा खरीदकर लाने की छूट के बाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती करीब 15 मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए हैं। डॉक्टर के परामर्श से मरीजों ने बाहर से खरीदकर यह इंजेक्शन अस्पताल को उपलब्ध कराया।
बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं
कोरोना के गम्भीर मरीजों के लिए फायदेमंद नई दवा बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है। ब्लैक में यह दवा ज्यादा कीमत पर बिक रही है। इस मरीज की तीन से छह इंजेक्शन की डोज के लिए मरीज को करीब 15 से 35 हजार रुपए खर्च करना पड़ रहा है। इतनी महंगी दवा को आर्थिक रुप से कमजोर मरीज बाहर से खरीद नहीं पा रहे हैं। रेडक्रॉस की मदद से 5-6 मरीजों को यह दवा उपलब्ध कराई गई है। गरीब मरीज को रियायती दर पर भी यह दवा मिल नहीं पा रही है। गम्भीर कोरोना मरीजों के लिए प्रभावी दवाओं की आपूर्ति का प्रस्ताव पूर्व चिकित्सा शिक्षा आयुक्त सहित सम्भाग के पूर्व कोरोना नोडल अधिकारी के साथ हुई बैठक में दिया गया था। अधिकारियों के बदलने के बाद एक बार फिर से मरीजों को मौत से बचाने के लिए इन दवाओं को खरीदने की कवायद शुरू की गई है। रविवार को मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के साथ बैठक में सम्भागायुक्त महेशचंन्द्र चौधरी ने नई दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई के आदेश दिए हैं। सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर जैसी नई दवाओं की खेप नहीं पहुंचने का फायदा कोरोना मरीजों का उपचार करने वाले निजी अस्पताल उठा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ निजी अस्पताल के पास रेमडेसिविर सहित नई दवाओं का स्टॉक है। गम्भीर कोरोना मरीजों के उपचार में इन दवाओं का प्रयोग करके मरीजों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं।
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