
जबलपुर। पहाडिय़ों से घिरा है। पर्याप्त हरियाली भी है। जबलपुर शहर के रेडियस में कोई बड़ा कल-कारखाना भी नहीं है। इसके बाद भी खतरनाक स्तर तक वायु प्रदूषण फैलाने वाले शहरों की लिस्ट में जबलपुर शहर का भी शामिल होना चिंताजनक है। इसके साथ ही यहां के दर्जनों तालाब और आस-पास की नदियां भी प्रदूषित हो गई हैं। जानकारों का कहना है कि प्रदूषण को लेकर आम शहरी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा। अंधाधुंध तरीके से वाहन खरीदे जा रहे हैं। उधर, प्रशासन तो अपनी जिम्मेदारी भूल ही गया है। प्रदूषण नियमों की पालना कहीं की जा रही। इसके चलते प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा। मजबूरी मे ही सही फुल लॉकडाउन में गतिविधियां थमीं, तो नर्मदा का पानी साफ हो गया था। अब फिर से गंदे नाले-नाली और डेयरियों की गंदगी मिलने लगी है। शुद्ध हुई हवा में फिर से पीएम 10 का जहर घुलने लगा है। विशेषज्ञों की राय है कि प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उद्योग-व्यापार जगत व आमजन को सामूहिक रूप से अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी प्रदूषण पर कंट्रोल किया जा सकेगा।
लॉकडाउन से पर्यावरण को ऐसे हुआ लाभ
नर्मदा जांच रिपोर्ट
जनवरी में (मिलीग्राम प्रति लीटर)
कं टेट- मानक- मौजूदगी
बीओडी(बायो ऑक्सीजन डिमांड)- 1- 2.8
पीएच- 6.5 से 8.5- 8.9
डीओ(डिजॉल्व ऑक्सीजन लेवल)- 6- 8
टोटल कोलीफार्म- 50 से 100- 990
टोटल हार्डनेस- 250- 1050
फरवरी में (मिलीग्राम प्रति लीटर)
कं टेट- मानक- मौजूदगी
बीओडी(बायो ऑक्सीजन डिमांड)- 1- 2
पीएच- 6.5 से 8.5- 7.6
डीओ(डिजॉल्व ऑक्सीजन लेवल)- 6- 7.6,
टोटल कोलीफार्म- 50 से 100- 48
टोटल हार्डनेस- 250- 120
मार्च में (मिलीग्राम प्रति लीटर)
कं टेट- मानक- मौजूदगी
बीओडी(बायो ऑक्सीजन डिमांड)- 1- 1.6
पीएच- 6.5 से 8.5- 8.29
डीओ(डिजॉल्व ऑक्सीजन लेवल)- 6- 7.4
टोटल कोलीफार्म- 50 से 100- 25
टोटल हार्डनेस- 250- 124
अप्रैल के अंत व मई (मिलीग्राम प्रति लीटर)
कं टेट- मानक- मौजूदगी
बीओडी(बायो ऑक्सीजन डिमांड)- 1 से कम- 0.7 से 0.8
पीएच- 6.5 से 8.5- 8.12
डीओ(डिजॉल्व ऑक्सीजन लेवल)- 6- 7.12
टोटल कोलीफार्म- 50 से 100- 22
टोटल हार्डनेस- 250- 170
जून (मिलीग्राम प्रति लीटर)
कं टेट- मानक- मौजूदगी
बीओडी(बायो ऑक्सीजन डिमांड)- 1 से कम- 0.7 से 0.8,
पीएच- 6.5 से 8.5- 8.4
डीओ(डिजॉल्व ऑक्सीजन लेवल)- 6- 7.20
टोटल कोलीफार्म- 50 से 100- 40
टोटल हार्डनेस- 250- 185
ए श्रेणी में है नर्मदा जल
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मासिक रिपोर्ट से लेकर सालाना रिपोर्ट के अनुसार नर्मदा जल ए श्रेणी में है। नर्मदा के जल स्तर की गुणवत्ता की स्थिति सुधरी है। तटों में पहले के मुकाबले प्रदूषण कम हुआ है।
एयर क्वालिटी- मानक (एक्यूआई)
0 से 50- अच्छी
51 से 100- संतोषजनक
101 से 200- मध्यम
201 से 300- पुअर
301 से 400- वेरी पुअर
401 से 500- सीवियरएक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स)
वायु गुणवत्ता में इस प्रकार आया बदलाव
मार्च में एक्यूआई- 189
अप्रेल में एक्यूआई- 70
मई में एक्यूआई- 55 से 60
जून में एक्यूआई- 55
ध्वनि प्रदूषण की स्थिति
एसपीएल(साउंड प्रेशर लेवल डेसिबल में)
मानक(55 डीबी दिन में, 45 डीबी रात में)
ये रही स्थिति-
-मार्च में 60 डीबी तक
-अप्रैल में 40 डीबी तक
-मई में 40 से 42 डीबी तक
-जून जुलाई में 55 से 60 डीबी तक
लॉकडाउन के दौरान कारखाने बंद थे। वाहन कम चल रहे थे, सभी व्यवसायिक गतिविधियां बंद थीं। इससे नर्मदा की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ। गतिविधियां शुरू होने से फिर पहले जैसी स्थिति हो गई है।
एसके खरे, वैज्ञानिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
लॉकडाउन ने सिखलाया है कि पर्यावरण से छेड़छाड़ न की जाए तो नदी, हवा को साफ-सुथरा रखा जा सकता है। नर्मदा में फू ल-माला विसर्जित न करें, दीपों को प्रवाहित न करें। इससे प्रदूषण रोका जा सकता है।
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि, संत
कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी, गैसों के फिल्टरेशन की उपयुक्त व्यवस्था हो। सार्वजनिक परिवहन की सुविधाओं को बेहतर किया जाए। ऐसा करके ही प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है।
प्रो एचबी पालन, पर्यावरण विद
पर्यावरण के लिहाज से लॉकडाउन का प्रभाव सकारात्मक रहा है। गौरैया से लेकर कई पक्षी जो घर-आंगन से दूरी बना चुके थे वे वापस नजर आने लगे हैं। पर्यावरण से छेड़छाड़ न हो, पौधरोपण किया जाए।
एबी मिश्रा, पर्यावरण मित्र
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