
जबलपुर. राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश की राजनीति में उठापटक का दौर शुरू हो गया है। इस बार निशाने पर हैं वो शख्स जिनके दम पर मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने सत्ता हासिल की। सत्ता हासिल करने के बाद हुए राज्यसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य को टिकट मिला और वो देश के उच्च सदन में पहुंच भी गए। लेकिन अब उनके चुनाव को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने को जो अर्जी दी गई थी उसे कोर्ट ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया है।
याचिका में बताया गया है कि 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी, जिसे सिंधिया ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया था। अब वह कांग्रेस में नहीं हैं और भाजपा से राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। राज्यसभा के लिए प्रस्तुत नामांकन पत्र में सिंधिया ने उक्त मामले की जानकारी पेश नहीं कर उसे छुपाया। यह आयोग के नियमों का उल्लंघन है।
इस मामले में पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने आरोप लगाया है कि सिंधिया ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाकर राज्यसभा चुनाव लड़ा। ऐसे में उनका निर्वाचन निरस्त कर नए सिरे से चुनाव कराया जाए। जनहित याचिका में कहा गया है कि सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के नियमों का उल्लंघन किया है। नियमानुसार नामांकन पत्र में आपराधिक मामलों की भी जानकारी दी जानी चाहिए थी लेकिन सिंधिया ने उसे छिपा लिया।
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