बेसहारा मानसिक रोगियों के लिए सरकार विचारशील, एक सप्ताह में उठाएगी जरूरी कदम

जबलपुर. राज्य सरकार की ओर से मप्र हाइकोर्ट को जानकारी दी गई कि बेसहारा मानसिक रोगियों के कल्याण व इलाज के लिए सरकार सक्रियता से विचार कर रही है। एक सप्ताह के अंदर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस अंजुलि पालो की डिवीजन बेंच ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेकर मामले की सुनवाई 8 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।

यह है मामला

मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव गिरिबाला सिंह व मप्र हाइकोर्ट विधिक सेवा समिति के सदस्य सचिव राजीव कर्महे की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया कि बेसहारा मानसिक रोगियों की देखरेख, कल्याण व चिकित्सा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 पारित किया। लेकिन राज्य सरकार इसे प्रदेश में लागू नहीं कर रही है। कहा गया कि बेसहारा घूमने वाले मानसिक रोगियों की समाज उपेक्षा करता है। क्योंकि उनके परिजन ही उन्हें गरीबी व अन्य कारणों के चलते सड़कों, ट्रेनों और स्टेशनों पर आवारा की तरह भटकने के लिए छोड़ देते हैं। ये आवारा घूमने वाले बेसहारा मानसिक रोगी सहज रूप से असामाजिक तत्वों के हाथ में पड़ जाते हैं। मानसिक रोगी बेसहारा महिलाएं यौन उत्पीडन व दुव्र्यवहार की शिकार होती हैं।

बने हैं कई नियम
इन लोगों को आधारभूत मानव व मूल अधिकारों के तहत पर्याप्त देखरेख मुहैया कराने के लिए कई नियम-कानून बने हैं। लेकिन इनका पूरी तरह पालन नही किया जाता। 7 अप्रैल 2017 को जारी मेंटल हेल्थ एक्ट 2017 में ऐसे लोगों की देखरेख, चिकित्सा व कल्याण के लिए अधिकारियों को अधिकृत किया गया है। लेकिन वे अपने कर्तव्य का समुचित तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

अधिकारी नहीं हुआ नियुक्त

एक्ट के मुताबिक़ 9 महीने के अंदर राज्य मानसिक स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति की जानी थी। लेकिन प्रदेश में अब तक यह नियुक्ति नहीं हुई। इन सब कारणों के चलते सूबे में बेसहारा मानसिक रोगियों के हालात खराब हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने इस सम्बंध में विचार जारी होने की जानकारी दी। नगर निगम की ओर से अधिवक्ता हरप्रीत रूपराह व याचिकाकर्ता की ओर से आदित्य अधिकारी उपस्थित हुए।

डुमना रोड पर मिली थी विक्षिप्त महिला

याचिका में उल्लेख किया गया कि 27 जुलाई की शाम 7 बजे विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव गिरिबाला सिंह को सूचना मिली कि डुमना रोड पर आर्मी हेडक्वार्टर के समीप स्थित बस स्टॉप पर एक विक्षिप्त युवती बदहाल अवस्था मे घूम रही है। वे तत्काल उप सचिव डीके सिंह के साथ वहां पहुंची। सूचना पर 15 मिनट बाद पहुंची पुलिस ने युवती को साथ ले जाने में असमर्थता जताई। कलेक्टर व सामाजिक कल्याण संयुक्त संचालक को सूचना दी गई। महिला स्वाधार गृह में भी युवती को रखने से इनकार कर दिया गया। विधि विभाग के प्रमुख सचिव को सूचना देने पर सामाजिक कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक मौके पर पहुंचे। उनके निर्देश पर ईसाई मिशनरी की वैन में युवती को क्वारंटीन सेंटर भेजा गया। इसी मामले को आधार बनाकर यह याचिका दायर की गई।



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