
जबलपुर। जबलपुर से दमोह तक की सडक़ की बदहाली के मसले पर याचिकाकर्ता की उदासीनता को देखते हुए हाईकोर्ट ने गुरुवार को कोर्ट मित्र नियुक्त किया।चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने 21 सितम्बर को मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया।
हटा, दमोह निवासी डॉ. विजय बजाज व संदीप बजाज की ओर से 2016 में यह जनहित याचिका दायर कर बताया गया कि एमपीआरडीसी ने जबलपुर से दमोह के बीच सडक़ बनाने व मेंटेनेंस का ठेका सात अगस्त 2009 को मुंबई की मेसर्स एस्सेल जबलपुर दमोह टोल रोड प्रा.लि. को दिया। सडक़ बदहाल हो गई है। उसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए। इससे चलना मुश्किल हो रहा है। ठेके की शर्त के अनुसार सडक़ का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। खस्ताहाल सडक़ के बावजूद कंपनी टोल नाके लगा कर आने-जाने वाले वाहनों से टोल टैक्स वसूल कर रही है। इसकी शिकायत एमपीआरडीसी से की गई।
पथरिया विधायक लखन पटेल ने यह मामला विधानसभा में भी उठाया था। लेकिन, सडक़ परिवहन मंत्री रामपाल ने गोलमोल जवाब दे कर विषयांतर कर दिया था। इन सबके बावजूद सडक़ की दशा और बदतर हो गई। पूर्व सुनवाइयों में हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुसार पीडब्ल्यूडी के एसई ने अपनी रिपोर्ट सडक़ के गड्ढों के फोटोग्राफ्स के साथ पेश की थी। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई।
नियुक्ति को जरूरी बताया
एमपीआरडीसी के एमडी, लोक निर्माण विभाग व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री की रिपोर्ट साफ कह रही कि सडक़ का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। आखिर इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? कोर्ट ने जवाब मांगा था, जो अब तक नहीं पेश किया गया। गुरुवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि छह सुनवाई से याचिकाकर्ता या उनके वकील नहीं हाजिर हुए। लिहाजा न्यायहित में कोर्ट मित्र की नियुक्तिजरूरी है। कोर्ट ने अधिवक्ता एनएस रूपराह को यह जिम्मेदारी देकर उनका नाम उल्लेखित करने का निर्देश दिया।
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