
जबलपुर। निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के मसले पर सीबीएसई की ओर से सोमवार को भी मध्यप्रदेश हाइकोर्ट में अपना जवाब पेश नहीं किया गया। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सीबीएसई सहित सभी पक्षकारों को अगली सुनवाई तक अपने जवाब पेश करने के लिए अवसर दे दिया। तब तक सभी को अपने पक्ष व संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा गया। इसके साथ ही कोर्ट ने अपना वह अंतरिम आदेश बरकरार रखा, जिसके जरिए फीस न चुकाने पर संबंधित छात्र का नाम न काटने के निर्देश निजी स्कूलों को दिए गए थे।
हाइकोर्ट ने दिया अंतिम अवसर, फीस नहीं चुकाने पर नाम नहीं काटने का आदेश बरकरार
यह है मामला
निजी स्कूलों की फीस की मनमानी को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपाण्डे व रजत भार्गव की ओर से दायर जनहित याचिका में यह मुद्दा उठाया गया कि इंदौर हाइकोर्ट और जबलपुर हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने निजी स्कूलों की ओर से फीस वसूली को लेकर दो अलग-अलग आदेश दिए हैं। इसके चलते विरोधाभास की स्थिति हो गई है। कई निजी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं, जबकि कुछ सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिए कि प्रदेश भर में निजी स्कूल ऑनलाइन कोचिंग के माध्यम से पढ़ाई संचालित कर रहे हैं। लेकिन भारी भरकम ट्यूशन फीस का स्ट्रक्चर तैयार कर अभिभावकों को लूटा जा रहा है ।

मोबाइल बच्चों के लिए खतरनाक
अधिवक्ता उपाध्याय ने तर्क दिया कि निजी स्कूल फीस वसूलने के चक्कर में मोबाईल फोन के जरिये बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए विवश कर रहे हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के लिहाज से यह न केवल बच्चों की आंख के लिए नुकसानदेह है, बल्कि इससे मष्तिष्क पर भी कुप्रभाव पड़ता है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को स्तरीय शिक्षा भी नहीं मिल पा रही है। सोमवार को सभी पक्षों की सहमति से कोर्ट ने सुनवाई बढ़ा दी।
याचिका में संशोधन की अर्जी पेश
सोमवार को याचिकाकर्ता की ओर से एक संशोधन आवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके जरिए राज्य सरकार की ओर से निजी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस संचालित करने की अनुमति को चुनौती दी गई। तर्क दिया गया कि ऑनलाइन क्लासेस से छात्र-छात्राओं की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अधिवक्ता अमित सिंह की ओर से अधिवक्ता अतुल जैन ने भी तर्क दिया कि निजी स्कूलों को मान्यता भौतिक कक्षाएं संचालित करने की मिली है, ऑनलाइन क्लासेस का संचालन गलत है।
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