
ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) के आयोजन को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। पैरेंट्स- स्टूडेंट्स के बाद राजनेता भी इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाने लगे है। विपक्ष के साथ ही खुद बीजेपी नेता राज्य सभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील सुब्रह्मण्यम स्वामी भी खुलकर सामने आ रहे हैं। इसी क्रम में फिर एक बार फिर स्वामी ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता ने कहा कि कोरोना काल में जेईई मेन और नीट यूजी जैसी परीक्षाएं आयोजित करने का फैसला नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी भूल हो साबित हो सकती है।
इंदिरा गांधी के ‘नसबंदी’ के फैसले से की तुलना
राज्य सभा सांसद ने यह तक कहा कि सरकार इस समय एग्जाम कराती है तो यह 1976 में इंदिरा गांधी द्वारा किया गया ‘नसबंदी’ जैसी बड़ी गलती साबित होगी। उन्होंने इस बारे में अपने विचार एक ट्वीट के जरिए साझा किए। बीजेपी नेता ने स्पष्ट किया कि अगर अभी यह परीक्षाएं होती है तो भारतीय मतदाता ताउम्र मोदी सरकार के इस फैसले को भुला नहीं पाएंगे।
सितंबर में आयोजित होनी है परीक्षा
इससे पहले भी कई राजनेता भी परीक्षा के आयोजन और सरकार के फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी, सचिन पायलट, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी सरकार से परीक्षा स्थगित करने मांग कर चुके हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब जेईई मेन 1 से 6 सितंबर और नीट यूजी 13 सितंबर को आयोजित किया जाएगा।
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