
जबलपुर . मप्र हाइकोर्ट ने एक बार फिर कोरोना से लडऩे के लिए डॉक्टर्स और पुलिसकर्मियों की प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने में डॉक्टर्स और पुलिसकर्मियों ने सराहनीय कार्य किया। राज्य सरकार ने भी इसके लिए प्रभावी कदम उठाए। इस मत के साथ चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कोरोना संक्रमण के सम्बंध में सरकार की निष्क्रियता का आरोप लगाने वाली याचिका निरस्त कर दी। होशंगाबाद निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भगवती उर्फ भावना विष्ट की ओर से मार्च की शुरुआत में यह जनहित याचिका दायर की गई। अधिवक्ता प्रमोद सिंह तोमर ने तर्क दिया कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने समुचित इंतजाम नहीं किए हैं। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि कोरोना को लेकर कई याचिकाएं हाइकोर्ट में दायर की गईं। कोर्ट को इन सभी याचिकाओं के जवाब में वस्तुस्थिति बताई जा चुकी है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। कोरोना के मरीजों व संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार ने समुचित कदम उठाए हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस बारे में कई जवाब पेश किए। इनसे स्पष्ट है कि कोरोनाकाल में डॉक्टर्स और पुलिसकर्मियों ने उल्लेखनीय कार्य किया। इसके अलावा सरकार ने भी मामले में प्रभावी कदम उठाए। लिहाजा अब याचिका का कोई औचित्य नहीं रह गया। इस मत के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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