
जबलपुर। हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम की ओर से पेश सीवर लाइन निर्माण कार्य पर अब तक हुए खर्च के ब्योरे पर असंतोष जाहिर किया। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने नगर निगम के दो अलग अलग दावों पर आश्चर्य व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने इस कार्य में अब तक 210 करोड़ रुपए खर्च का हिसाब-किताब पेश किया, जबकि नगर निगम पहले इसी काम मे 438 करोड़ रुपए खर्च होने का दावा कर चुकी है।
सीवर लाइन का मामला: निगम से पूछा-438 करोड़ खर्च किए या 210 करोड़
निगम के ब्योरे से हाईकोर्ट नाखुश, हर काम के खर्च का हिसाब मांगा
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि इस कार्य मे कहां कहां, किस काम मे कितना खर्च किया गया, अगली सुनवाई तक इसकी रिपोर्ट पेश की जाए। यह भी बताया जाए कि बाकी काम में कितना खर्च होना है। मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त नियत की गई।

यह है मामला :
इस मामले पर हाईकोर्ट ने 2017 में स्वत: संज्ञान लिया था। 2019 में जबलपुर के कांग्रेस नेता सौरभ नाटी शर्मा ने भी इस मसले पर जनहित याचिका दायर की। दोनों याचिकाओं की बुधवार को संयुक्त सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया के इस कार्य को आरंभ हुए 13 साल हो गए हैं। 13 साल में सिर्फ 30 प्रतिशत काम हुआ। यही गति रही तो 50 साल बाद भी यह पूरा नहीं होगा। अभी तक कहीं भी कॉलोनियों को मुख्य सीवर लाइन के जरिए जोड़ा नहीं जा सका है। ऐसे में नगर निगम का करोड़ों खर्च करने का दावा फर्जी नजर आता है। कई जगहों पर पाइप लाइन धसक गई है। अधिवक्ता संघी ने राज्य सरकार की ओर से दिए गए ब्योरे पर सवालिया निशान लगाया। उन्होंने तर्क दिया कि इस ब्योरे के पूर्व नगर निगम भी हाइकोर्ट को सीवर लाइन के काम पर 438 करोड़ रु खर्च करने का दावा कर चुकी है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को इस कार्य पर मदवार हुए खर्च का विस्तृत ब्योरा पेश करने को कहा।
मांगी थी विस्तृत जानकारी
सुनवाई के पहले चरण में राज्य शासन की ओर से सीवर लाइन प्रोजेक्ट के सिलसिले में संक्षिप्त प्रारूप में जानकारी प्रस्तुत की गई। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संक्षिप्त जानकारी से काम नहीं चलेगा। सीवर लाइन के नाम पर अब तक हुए पाई-पाई खर्चे का हिसाब प्रस्तुत किया जाए। किस मद में कितना खर्च हुआ, इसका पूरा ब्यौरा दिया जाए।
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