
यह है स्थिति
-03 विश्वविद्यालय
-40 थीसिस
-15 विभाग
-100 सेमिनार
-28 ऑनलाइन वायवा
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
-30 थीसिस
-46 सेमिनार
-20 वायवा
-08 विभाग
कृषि विश्वविश्वविद्यालय
-06 थीसिस
-29 सेमिनार
-08 वायवा
-04 विभाग
वेटरनरी विश्वविद्यालय
-04 थीसिस
-25 सेमिनार
-35 असाइनमेंट
-03 विभाग
इनमें किया गया बदलाव
ऑनलाइन प्रजेंटेशन, थीसिस सबमिशन, असाइनमेंट, ओरल वायवा, पैनल डिस्कशन।
जबलपुर। कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में पीएचडी छात्रों की डिग्रियां रुकने अथवा एक साल टलने के आसार बन गए थे। ऐसे में विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का बेहतरीन इस्तेमाल कर 40 से अधिक थीसिस को ऑनलाइन प्रस्तुत किया। एक तरह से विश्वविद्यालयों के लिए यह नया इनोवेशन था। विश्वविद्यालयों ने 100 से अधिक थीसिस से जुड़े ऑनलाइन प्रजेंटेशन लॉकडाउन में प्रजेंट किए। विश्वविद्यालयों के सामने सबसे बड़ी समस्या लॉकडाउन के दौरान एक्सटर्नल, ज्यूरी और छात्र को एक साथ विश्वविद्यालय में उपस्थित होने की थी। वर्चुअल प्लेटफार्म तैयार कर तीनों को मिलाया गया। थीसिस जमा करने के पहले की औपचारिकताएं प्रेजेंटेशन, वायवा आदि कराया गया।
अभी तक थीसिस जैसे कार्यों के लिए हर विभाग में अलग-अलग प्रजेंटेंशन, रिजल्ट सेमिनार, वायवा आदि विभागो में आयोजित कराए जाते थे। सब गतिविधियों को ऑनलाइन किया गया। छात्रों की थीसिस कम्पलीट कराने ऑनलाइन प्रजेंटेशन, रिजल्ट सेमिनार, ऑनलाइन वायवा आदि आयोजित कराए गए। इन सभी की रिकार्डिंग भी की गई है। कृषि विवि के संचालक शिक्षण डॉ. अभिषेक शुक्ला ने बताया कि ऑनलाइन प्लेटफार्म का अधिक से अधिक उपयोग छात्रों की थीसिस को लेकर किया है। लॉकडाउन अवधि के दौरान सात ऑनलाइन थीसिस प्रजेंट करने में हम सफल रहे। रादुविवि एग्जाम कंट्रोलर प्रो. एनजी पेंडसे ने बताया कि विवि ने छात्रों के हितों को देखते हुए पीएचडी वायवा की ऑनलाइन शुरुआत की गई है। विभागों ने भी इसका अच्छा रिस्पांस दिया है।
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