
सागर ग्रुप के सागर इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी - सिस्टेक ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (MHRD) के इनोवेशन सेल (MIC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा नवाचार की उपलब्धियों पर शैक्षणिक संस्थानों की अटल रैंकिंग-2020 (ARIIA-2020) प्राप्त की है। माननीय उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने माननीय केन्द्रीय शिक्षा मंत्री और शिक्षा राज्य मंत्री की उपस्थिति में एआरआईआईए-2020 (ARIIA-2020) की वर्चुअल घोषणा की । एआरआईआईए-2020 रैंकिंग में सिस्टेक को उत्तर ज़ोन में शीर्ष के 51-75 संस्थानों मे भारत में टॉप निजी या स्व-वित्तपोषित कॉलेज / संस्थानों की श्रेणी में रैंकिंग प्रदान की गई है । भोपाल से सिस्टेक इंजीनियरिंग, फार्मेसी और एमबीए एकमात्र संस्थान रहा को निजी/स्व-वित्तपोषित कॉलेज/इंस्टीट्यूट की श्रेणी मे एआरआईआईए-2020 रैंकिंग प्राप्त कर सका है । रैंकिंग का मूल्यांकन नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम पर उच्च शिक्षा संस्थानों में सात मापदंडों के आधार पर किया जाता है
जिसमे भारत मे छात्रो और संकायो के बीच नवाचार व उद्यमिता विकास, इनफ्रास्ट्रक्चर, आईपी इनोवेशन और स्टार्ट-अप का समर्थन करने के लिए सुविधाएं; बजट, समर्थन और राजस्व उत्पन्न व्यय; आइडिया जनरेशन और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता गतिविधियाँ; प्रोत्साहन और सहायक उद्यमिता विकास; बौद्धिक संपदा (आईपी) पीढ़ी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण; नवीन शिक्षण विधियाँ और पाठ्यक्रम; संस्थान के शासन में नवाचार। सिस्टेक भारत में आईआईसी के नेटवर्क में शामिल है जो संस्थान में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बहुसंख्यक तरीकों के माध्यम से कैंपस में एक नवाचार पदोन्नति व इको-सिस्टम की ओर अग्रसर आगे बढ रहा है । आईआईसी मे सिस्टेक का चयन उद्यमी सेल की पिछली कार्यक्षमता और ट्रेंडिंग प्रौद्योगिकी के अधिकतम पेटेंट को बढ़ावा देने और सेल का दृष्टिकोण से हुआ है ।
सागर ग्रुप के मैंनेजिंग डायरेक्टर श्री सिद्धार्थ सुधीर अग्रवाल ने सिस्टेक की टीम को बधाई दी और कहा, "सिस्टेक मे इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) स्थापित करने के लिए ह्म भारत सरकार, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय व एआईसीटीई के आभारी हैं। यह हमें 'आत्मनिर्भर भारत’ और हमारे मिशन ‘राष्ट्र निर्माण' की तरफ एक और कदम है। हमारे प्रयास अब नए रचनात्मक नवाचार, सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुसंधान से छात्रो के तकनीकी कौशल के विकास के लिए रहेगे। "
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