
जबलपुर. गणेशचतुर्थी पर इस वर्ष पंडालों में श्रीगणेश स्थापना नहीं हो रही है। मंदिरों में भी प्रवेश पर विशेष सावधानी रखी जाएगी। मंदिर समितियों के अनुसार श्रीगणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चर्तुदशी तक धार्मिक अनुष्ठान होंगे, लेकिन शासन की गाइडलाइन के अनुसार ही मंदिरों में प्रवेश दिया जाएगा।
शासन की गाइडलाइन के अनुसार मंदिरों में एक बार में पांच भक्त ही कर सकेंगे प्रवेश
श्री सिद्धगणेश मंदिर- श्री सिद्ध गणेशमंदिर ग्वारीघाट जबलपुर में रिद्धि-सिद्धि सहित विराजित भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। रामबहादुर महाराज ने बताया कि प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश का विशेष श्रृंगार एवं सहस्त्रार्चन किया जाएगा। भगवान के बारह नामों के प्रतिदिन अलग-अलग रूपों, नाम के अनुसार वस्तुओं और उसी रंग के वस्त्रों से श्रृंगार किया जाएगा। व्यवस्थापक रामानुज के अनुसार मंदिर में भंडारा का आयोजन नहीं किया जाएगा। शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही भक्तों को प्रवेश दिया जाएगा। श्री त्रिमूर्ति कला मंदिर गोरखपुर में दस दिनी विशेष आयोजन होंगे। मंदिर समिति के अध्यक्ष गुरू दयाल सिंह, बिहारी लाल साहू, एस के कर्ण,प्रात: 9 बजे से भगवान का सहस्त्रार्चन कर आरती होगी।
महाराष्ट समाज अधारताल की ओर से प्रात: पंचोपचार पूजन, गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ, संकटनाशन स्त्रोत का पाठ, प्रतिदिन अलग-अलग प्रकार के लड्डू, मोदक का भोग लगाया जायेगा। समाज के सतीश ठोसर, माधव केंदुरकर, हेमंत पाठक, श्रीकांत सूबेदार के अनुसार कोरोनाकाल में सदस्य ही पूजन करेंगे। सिद्धेश्वर गणेश मंदिर शास्त्री नगर में भी इस वर्ष गणेशोत्सव पर विशेष आयोजन होंगे।
सुप्तेश्वर गणेश मंदिर- सुप्तेश्वर गणेश मंदिर एकता विहार में प्रात: काल श्रीगणेश जन्मोत्सव मनाया जाएगा। मंदिर समिति के अनिल सिंह के अनुसार प्रतिदिन प्रात: 8 बजे से श्रीगणेशजी का अभिषेक पूजन होगा। 10 बजे से गणपति अर्थवशीष का पाठ एवं श्रीगणेश नाम का सहस्त्रवाचन होगा। समिति के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग के बीच मास्क पहनकर सीमित संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया जाएगा।
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी पर श्रीगणेश स्थापना मुहूर्त प्रात: सूर्योदय से लेकर रात्रि 11.30 तक चतुर्थी है। इस दौरान स्थापना की जाती है।
मध्याह्न पूजन मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक।
विशेष मुहूर्त : लाभ एवं अमृत की चौधडि़ाया दोपहर 1.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक
वर्जित चंद्रदर्शन : रात 8.47 बजे से 9.22बजे तक।
(ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला के अनुसार)
चतुर्थी को न करें चंद्रदर्शन
ज्योतिषाचार्य सौरभ दुबे के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में आज के दिन चंद्र दर्शन निषेध बताया गया है। दरअसल चंद्रमा ने अहंकार के चलते भगवान गणेश का अपमान किया था। इससे क्रोधित होकर गणेशजी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि उनका क्षय हो जाएगा। इस दिन जो भी चंद्रमा को देखेगा, उसे झूठा कलंक लगेगा।
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