
जबलपुर. मध्य प्रदेश में OBC को 14 फीसद से अधिक आरक्षण पर रोक कायम रहेगी। यह फैसला प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनाया है। बता दें कि 19 मार्च 2019 को कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में 14 फीसद से अधिक ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसी आदेश को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने 28 जनवरी को एमपीपीएससी की करीब 400 भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इस आदेश को वापस लेने के सरकार के आग्रह को सोमवार को कोर्ट ने स्वीकार नही किया। सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को इस शर्त पर उक्त भर्ती प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश दे दिए कि चयन प्रक्रिया को हाई कोर्ट में याचिका लंबित रहने तक अंतिम रूप नही दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को निर्धारित की गई है।
यहां बता दें कि जबलपुर निवासी छात्रा आकांक्षा दुबे सहित अन्य की ओर से राज्य सरकार के 8 मार्च 2019 को जारी संशोधन अध्यादेश को चुनौती दी गई है। कहा गया कि संशोधन के कारण ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़कर 27 फीसद हो गया। इससे कुल आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 63 हो गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत किसी भी सूरत में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता। एक अन्य याचिका में कहा गया कि एमपी पीएससी ने नवंबर 2019 में 450 शासकीय पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया में 27 प्रतिशत पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर लिए।
वहीं एक अन्य याचिका में राजस्थान निवासी शांतिलाल जोशी सहित 5 छात्रों ने कहा कि 28 अगस्त 2018 को मध्य प्रदेश सरकार ने 15,000 उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षकों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर भर्ती परीक्षा कराई थी। 20 जनवरी 2020 को इस संबंध में सरकार ने इन पदों में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण लागू करने का नियम निर्देशिका जारी कर दिया। अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक, शिवेश अग्निहोत्री, रीना पाठक, राममिलन साकेत ने दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया 2018 में आरंभ हुई, लेकिन राज्य सरकार ने 2019 का अध्यादेश इसमें लागू किया। यह अनुचित है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने दलील दी कि हाई कोर्ट ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से बढ़ा कर 27 फीसद करने का आदेश 2019 में स्थगित कर चुका है। इसलिए किसी भी सरकारी भर्ती या शैक्षणिक प्रवेश प्रक्रिया में 14 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
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