बिग ब्रेकिंग : हाईकोर्ट के आधीन रहेंगे न्यायिक सेवा परीक्षा के परिणाम

जबलपुर.

मप्र हाईकोर्ट की मुख्यपीठ ने 18 जुलाई को होने जा रही मप्र उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा के परिणाम कोर्ट के आगामी आदेशों के अधीन कर दिए हैं। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने अनावेदक हाइकोर्ट को जवाब पेश करने के लिए समय दे दिया। अगली सुनवाई 5 अगस्त तय की गई।

जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेंद्र सिंह ने यह जनहित याचिका दायर कर कहा कि मप्र उच्च न्यायिक सेवा (भर्ती तथा सेवा शर्तें) नियम 2017 की धारा 5 (1) (डी ) का परंतु क असंवैधानिक है। दरअसल मप्र उच्च न्यायिक सेवा की भर्ती में 75 फीसदी पद सेवारत न्यायिक अधिकारियों के लिए व शेष 25 प्रतिशत पद वकीलों से भरे जाने हैं। लेकिन सेवा नियम 2017 के नियम 5 (1) (डी ) के परंतुक के तहत व्यवस्था की गई है कि वकीलों के 25 फीसदी पद किसी कारण से न भरे जाने की दशा में बचे हुए पदों पर सेवारत न्यायिक अधिकारियों को भर्ती किया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह व अधिवक्ता विकास महावर ने तर्क दिया कि धीरज मोर विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए फैसले में कहा कि अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित पद सेवारत अधिकारियों से न भरे जाएं। कर्नाटक व दिल्ली हाईकोर्ट उच्च न्यायिक सेवा की भर्तियों में इस दिशानिर्देश का परिपालन भी कर चुके हैं। उन्होंने तर्क दिया कि सेवारत न्यायिक अधिकारियों के लिए आरक्षित 75 प्रतिशत पदों पर किसी भी सूरत में वकीलों को भर्ती नहीं किया जाता। ऐसे में वकीलों के कोटे की सीटों पर सेवारत न्यायिक अधिकारियों को नियुक्त करना असंवैधानिक है। आग्रह किया कि इस नियम के तहत वकीलों के आरक्षित 25 फीसदी कोटे में भर्ती किए गए सेवारत न्यायिक अधिकारियों से पद खाली कराए जाएं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने परीक्षा का नियंत्रण करने वाले मप्र हाईकोर्ट प्रशासन को निर्देश दिया कि परीक्षा परिणाम इस याचिका की सुनवाई के दौरान दिए जाने वाले अगले आदेशो के अधीन रहेंगे।



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