
जबलपुर। कोरोना काल में आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे आम आदमी के लिए मप्र हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। निजी स्कूलों द्वारा फीस न देने के एवज में छात्रों का नाम काट स्कूल से बाहर किए जाने के मामले सामने आ रहे थे, इस पर परिजनों की चिंताएं बढ़ गई थीं। जिसके पश्चात एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ऐसे स्कूलों को सख्त हिदायत दी है कि फीस जमा न होने पर यदि बच्चे को निकाला तो ठीक नहीं होगा। इस निर्णय से परिजनों ने राहत की सांस ली है।ं
हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को सख्त ताकीद की है कि कोरोना काल में स्कूल फीस जमा न करने के आधार पर किसी भी छात्र-छात्रा का नाम न काटा जाए। निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने 28 जुलाई को जारी आदेश में यह महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
इस दिशा-निर्देश मामले की सुनवाई की आगामी तिथि 10 अगस्त तक गम्भीरता से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोरोनाकाल में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को कठघरे मे रखा। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव व उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने जवाब प्रस्तुत किया। स्पष्ट किया कि राज्य के सभी निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का अधिकार है, अन्य कोई भी शुल्क वसूलने की मनाही है। जवाब को रेकॉर्ड पर लेकर कोर्ट ने फीस न देने पर किसी छात्र के भविष्य से खिलवाड़ न करने का अंतरिम आदेश जारी किया।
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