नौरादेही से बांधवगढ़ तक टाइगर्स से घिरा है प्रदेश का यह शहर

जबलपुर। हमारा शहर और प्रदेश जैव सम्पदाओं से घिरा है। वन्य प्राणियों की चहलकर्मी से घिरा शहर है। बात करें टाइगर्स की तो शहर टाइगर्स से घिरा हुआ है। नौरादेही से लेकर कटनी, बांधवगढ़ के जंगलों में टाइगर पल रहे हैं। टाइगर की एक झलक पाना उन लोगों के लिए जीवन की सबसे बड़ी खुशी होता है जो वाइल्ड लाइफ जीते हैं। शहर में कई वाइल्ड लाइफ लवर्स हैं, जो टाइगर के एक-एक कदम को कैेमरे में कैद करने की तमन्ना रखते हैं।

96 किमी से शुरू टाइगर जोन
जबलपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित नौरादेही से टाइगर्स जोन शुरू हो जाता है। इसके साथ ही 100 किमी के रेंज में टाइगर्स जंगलों में नजर आते हैं। वहीं इनके संरक्षण के लिए विशेष कार्य भी किए जा रहे है। ऐसे में कटनी, बांधवगढ़ और इनके आसपास के जंगलों में टाइगर्स मौजूद हैं।

तीन शावकों को न देख बाघिन आक्रमक हुई
वाइल्ड लाइफ लवर और टाइगर एक्टिविटीज के जानकर हिमांशु यादव ने बताया कि शेरों के साथ उनका समय हमेशा बीतता है। महीनों वे जंगलों में रहते हैं। बातों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले साल बांधवगढ़ में सफारी के दौरान एक बाघिन अपने तीन शावकों के साथ सो रही थी। बाघिन की नींद के दौरान शावक पानी पीने उतर गए। बाघिन बच्चों को न देखकर आक्रमक हो गई। जीप के आसपास दहाडऩे लगी। जब उसकी नजर शावकों पर पड़ी तब वह शांत हुई। उस वक्त का शॉट जीवन पर याद रहेगा।

बारिश के समय में मुश्किल था शॉट लेना बारिश के समय में मुश्किल था शॉट लेना
वाइल्ड लाइफ लवर और फोटोग्राफर नमन जैन ने बताया कि बांधवगढ़ में फोटोग्राफी के दौरान बारिश हो रही थी। उस वक्त फोटोग्राफी के लिए पूरे दिन का इंतजार करना पड़ा था। जब टाइगर निकले तो उनकी अलग-अलग एक्टिविटी को फोटोज में कैद किया। वे अक्सर टाइगर रिजर्व और जंगलों में टाइगर्स के फोटोज कलेक्शन के लिए निकलना पसंद करते हैं।



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