जबलपुर के व्यक्ति ने चीनी राष्ट्रपति से मांगा एक अरब 38 करोड़ का मुआवजा, भेज दिया लीगल नोटिस

जबलपुर। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं को नकारा साबित करने वाले कोरोना वायरस को लेकर चीन की जमकर थू थू हो रही है। इसी बीच मप्र के जबलपुर जिला निवासी ने चीन के राष्ट्रपति से एक अरब 38 करोड़ का मुआवजा मांगा है। इसके लिए उन्होंने बकायदा लीगल नोटिस भेजा है। साथ ही इंटरनेशनल कोर्ट में भी इस मामले को चुनौती देने की बात कह चुके हैं।

यह है मामला
भारतीय गरीब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जबलपुर निवासी स्टेनली जॉन लुईस ने अधिवक्ता श्रीकृष्ण मिश्रा के जरिए चीन के राष्ट्रपति को लीगल नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है, चीन के वुहान शहर से कोरोना संक्रमण शुरू हुआ। इसलिए चीन एक अरब 38 करोड़ रुपए मुआवजा दे। नोटिस में खुद को यूनाइटेड स्टेट ऑफ एशिया का प्रेसीडेंट निरूपित करते हुए लुईस ने चेतावनी दी है कि अविलंब मुआवजा नहीं देने पर वे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, हैग, नीदरलैंड में मुकदमा दायर करेंगे।

 

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स्टेनली जॉन लुईस द्वारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को नोटिस भेजे जाने का मामला ये पहला अनूठा मामला नहीं है। इसके पहले साल 2006, 2008 में ब्रिटेन सरकार को नोटिस भेजकर स्टेनली कोहिनूर हीरे पर भी अपना हक जता चुके हैं। उनका कहना था कि कोहिनूर भारत सरकार का नहीं बल्कि उनकी खानदानी संपत्ति है। ब्रिटेन सरकार को उनका हीरा लौटा देना चाहिए। इसके लिए वे कई वर्षों से कानूनी लड़ाई भी लड़ते रहे। चीन के राष्ट्रपति को नोटिस भेजने के बाद एक बार फिर वे सुर्खियों में आ गए हैं।

ढाबा चलाता है स्टेनली जॉन लुईस

स्टेनली जॉन लुईस जबलपुर रेलवे स्टेशन के पास एक ढाबा चलाते हैं। इसी ढाबे से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा कानूनी लड़ाइयों में खर्च करते हैं। वे पैराग्लाइडिंग और कराते में ब्लैक बेल्ट हैं। स्टेनली स्विस बैंक में जमा ब्लैक मनी भारत लाने सुप्रीम कोर्ट में, शिवाजी की भवानी तलवार ब्रिटेन के रॉयल कलेक्शन म्यूजियम से भारत लाने मुंबई हाईकोर्ट में और जलियांवाला बाग हत्याकांड के पीडि़तों के परिजनों को मुआवजा दिलाने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिकाएं लगा चुके हैं।

ऐसे किया था कोहिनूर पर दावा

स्टेनली जॉन लुईस ने कोहिनूर हीरा पर दावा करते हुए कहा कि ये उनके परदादा एलबर्ट लुईस (सन 1800) की धरोहर था, जिसे देश के बड़े बड़े राजा-महाराजा अपने कब्जे में करने के लिए लड़ते मरते रहे। जिसमें वे सफल हुए और एक दिन उनके खानदान की विरासत कोहिनूर को ईस्ट इंडिया कंपनी के हवाले कर दिया गया।



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